Not known Facts About bhairav kavach

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गद्यपद्यमयी वाणी गङ्गानिर्झरिता तथा ॥ १४॥

वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः।।

इति विश्वसारोद्धारतन्त्रे आपदुद्धारकल्पे भैरवभैरवीसंवादे वटुकभैरवकवचं समाप्तम् ॥

षडङ्गसहितो देवो नित्यं रक्षतु भैरवः ॥ १२॥

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प्रयत्नतः पठेद् यस्तु तस्य सिद्धिः करे स्थिता ॥ ७॥

 

मियन्ते साधका येन विना श्मशानभूमिषु।



वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच here का पाठ करें।

बाटुकं कवचं दिव्यं शृणु मत्प्राणवल्लभे ।

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न किञ्चिद् दुर्लभं तस्य दिवि वा भुवि मोदते ॥ ४॥

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